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शेषन ने / हरेराम बाजपेयी 'आश'
Kavita Kosh से
सबकी खटिया खड़ी कर दई शेषन ने
बड़े-बड़े को धूल चटा दई शेषन ने।
कुछ तो खतम हवालन में, कुछ हैं फँसे घुटालन में,
बचे खुचों की नींद उड़ा दई शेषन ने।
शहरों की दीवार चक हैं, नेताओं के चेहरों फ़क हैं,
साबुन-पानी बिना शहर को, साफ कर दिया शेषन ने।
कट आउट नापे जाएंगे, भाषण अब टेपे जाएंगे,
बड़ बोलों का गाल बजाना, बन्द कर दिया शेषन ने।
टीवी पेपर न्यूज रेडियो, सबको अनुशासन की गोली
चार कदम की फाँकालाजी, बन्द करा दी शेषन ने,
परिचय में, परिचयपत्रों, उसकी ही तस्वीर दिखे,
खुद को अब पहचानो भैया, आवाज लगा दई शेषन ने॥