शैतानी दर्द / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह
नीले अनन्त आकाश के नीचे, सारा दिन गूँजती रहती है मशीनगन
अपने मुँह से उगलती हुई आग, रक्त और नफ़रत
उस दौरान फ़्रांसीसी और जर्मन पलटनें रहती हैं राजा के क़रीब
जो उनका करता है उपहास,
और पलटनें आग के दरिया में हो जाती हैं ख़ाक ।
जिस समय भयानक मूर्खता निचोड़ती है रक्त,
और चकनाचूर कर, हज़ारों अभागे आदमियों का ग्रीष्म में लगा देती है घास पर ढेर
और प्रकृति यह तुम हो, जिसने मृतकों को बना दिया है पवित्र !
ममताभरी गोद में उन्हें स्थान देकर ।
और एक ऐसा प्रभु है, जो हंसता है वेदी के बूटेदार आवरण
धूप-दीप और स्वर्णिम पूजा-पात्र पर,
और सो जाता है, स्तुतिगान की लय पर बेख़बर ।
और यह प्रभु जागता है जब, शहीदों की ग़रीब माताएँ दुख से व्यथित
विलाप करती हुई एकत्र होती हैं, अपनी पुरानी काली, मातमी टोपी से सिर ढके
जो अर्पित करती हैं रूमाल में बन्धा एक बड़ा सिक्का
गिरजाघर में प्रभु के चरणों में !
मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह
शैतानी दर्द — जर्मनी और फ़्रांस के मध्य युद्ध के दौरान तात्कालिक फ़्रांस की धार्मिक-राजनीतिक स्थिति के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द-युग्म ।