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शैतान / असंगघोष

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शैतान का
कोई रूप नहीं होता
हमारे जैसा ही
परिवेश लिए होता है
चेहरे पर अपने
मासूमियत धरे
हर कहीं घुसपैठ कर
वह आतंक फैलाता,
मार डालता है
मनुष्यता को

शैतान का
कोई रूप नहीं होता
भू्रण हत्या करने
वह फाड़ देता है
गर्भवती औरतों का पेट,
चाकू घुसेड़ चीर देता है
योनि
सामूहिक बलात्कार के बाद,
छलनी कर गोलियों से
जाति धर्म की बाँट पर
काट बाँट देता है
बोटी-बोटी
मासूमों का शरीर,

शैतान का
कोई रूप नहीं होता,
वह जला देता है
घर, झोंपड़ी, दुकान,
माल असबाब
यहाँ तक
कि जिन्दा इंसानों को भी
बेरहमी से
भून देता है भुट्टे की माफिक,

शैतान का
कोई रूप नहीं होता
कोई रंग नहीं होता
कोई जात नहीं होती
कोई धर्म नहीं होता
कोई कद नहीं होता
कोई ईमान भी नहीं होता
मानव को जाति-धर्म में
विभाजित करता है
भले ही वह हमारे जैसा ही
दिखता हो
मनुष्य नहीं होता।