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शोकपत्र के ऊपर / कुँअर बेचैन

Kavita Kosh से
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ऊपर-ऊपर मुस्कानें हैं

भीतर-भीतर ग़म

जैसे शोकपत्र के ऊपर शादी का अलबम।


समय-मछेरे के हाथों का

थैला है जीवन

जिसमें जिंदा मछली जैसा

उछल रहा है मन


भीतर-भीतर कई मरण हैं

ऊपर कई जनम

जैसे शोकपत्र के ऊपर शादी का अलबम।


अपना-अपना दृष्टिकोण है

अपना-अपना मत

लेकिन मेरे मत में हम सब

बिना पते के ख़त


लिखा हुआ है जहाँ

सुघर शब्दों में दुख का क्रम

जैसे शोकपत्र के ऊपर शादी का अलबम।


-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।