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शोक सभा / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

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आँखि मे नोर
दांत निपोर
नेना मे जिद्द
पूर्ण होयबाक उपरान्त
सुनल फकरा---
बुढ़िया मायक मुख सं'
मुदा! एकटा अधबयसूक
अंतिम यात्राक सभा मे
प्रिय सहकर्मी लोक सभ
विनु नोरक दाँत निपोरल
वाह रॉ! मानवीय मूल्य बेचि लेंले
अजातशत्रुक अंतिम सभा मे
एहेन धृष्टता...
देव कहियो क्षमा नहि करतौ
हमर माय असमय गेली
द'र दिआद जाति पजातिक संग
"नेंगरा" कुकुर सेहो कानल छल
वेदनाक अभिव्यक्तिक लेल
शब्द कोनो अनिवार्य नहि
परंच!जैविक परम्परा थिक
सभ जीव, काग गीदड़ सेहो
संगी हुए वा परिजन
"अंतिम सभा" अवश्य बजबैछ
हमहीं अंतिम सभा' शोक-सभा बजयलहुँ
अपन प्रिय मित्रक अंतिम सभा...
ई हिम्मतिक गप्प थिक
हमरा त' अंतिम सभा...अंतिम स्नानक...
हिस्सक परि गेल अछि
एहेन पाथरक करेज ककर हएत?
सरिपहुं अजातशत्रु सभ सं प्रिय छल!!
तीन-तीन अबोध नेनाक बाप
एकटा अवलाक पतवारि
सहज व्यक्तित्व सबल दृष्टिकोण
ककरो अधलाह नहि सोचलक...
बूढ "गुजराती" बॉस सेहो कानल
परशुरामक आखर-आखर
सम्वेंदना सं भरल
झकझोरि देलक
एहि भीड़ मे किछु
अंटेटल अभागल सेहो छल
एक दोसरक पाँजरि मे
गुदगुदी लगा क' हँसैत
वाह रॉ! टाटा नगरक लाल
किओ सत्य कहने छल
एहि स्टील नगरी केँ
आत्मसात केनिहार मे
आत्मा हारमाउसक नहि
"स्टेनलेस होइछ"
संतोष एतवे जे तीनू
"मैथिल नहि छल"
सरिपहुं मैथिल कदापि ?
एहेन नहि भ' सकैत अछि
अपना में लरत
एक दोसरक टांग खींचत
मुदा! भाव! आह! कम सं कम
अंतर नहि त' उपरिक मोने अवश्य
तीनू कुपात्र केँ बधाई
रउ तोरो घर अन्हार हेतौ