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शोभनीय सुडोल स्तन का... / कालिदास
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- लो प्रिये हेमन्त आया!
शोभनीय सुडोल स्तन का
- नैशः अतिमर्दन हुआ है
अतः मन में शीत के
- कुछ खेद का आतुर हुआ है
भोर पत्तों के किनारों
- पर तुहिन जो दिख रहा है
अश्रु है हेमन्त उर के,
- पर व्यथा ने है रुलाया
- लो प्रिये हेमन्त आया!