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शोर तो यही था न बदगुमान है चेहरे / सर्वत एम जमाल

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शोर तो यही था ना ! बदगुमान हैं चेहरे

जबकि आप लोगों पर मेहरबान हैं चेहरे


आँख आँख शोले हैं दुश्मनों की सेना में

और तुम समझते हो खानदान हैं चेहरे


सौ जतन करो फिर भी मेल हो नहीं सकता

क्योंकि तुम तो धरती हो, आसमान हैं चेहरे


बस्ती बस्ती में सुनिए जिंदाबाद के नारे

पहले मुल्क होता था, अब महान हैं चेहरे


उन दिनों यही चेहरे सरफ़रोश होते थे

अब वतन फरोशों के मेज़बान हैं चेहरे


इस तरफ़ तिरंगा है, उस तरफ़ हरा परचम

लाख कीजिये कोशिश, दरम्यान हैं चेहरे


यार पिछले मौसम में शोर भी था, मातम भी

आज क्या हुआ सर्वत, बेज़बान हैं चेहरे