शोर दिल में न यूँ मचा होगा / देवी नांगरानी

शोर दिल में न यूँ मचा होगा
कुछ न कुछ तो उसे हुआ होगा

कुछ ज़मीं में कशिश रही होगी
आसमां इसलिये झुका होगा

उसके मन में झिझक हुई होगी
झूठ ने सच को जब छुआ होगा

ख़्वाब दुनिया को बांटता है वो
इससे बढ़कर सवाब क्या होगा

हो गवाहों का जो करम उस पर
हक में कातिल के फैसला होगा

जो परिंदों के पर कतरता है
वो दरिंदों का सरग़ना होगा

कौन देता है दर्द को आँसू ?
इतना हमदर्द कोई क्या होगा ?

रौशनी फैली दूर तक ‘देवी’
दिल किसी का कहीं जला होगा

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.