भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शौहर बोला क्यों कडुवाहट घोले जाती है / सर्वत एम जमाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शौहर बोला क्यों कडुवाहट घोले जाती है
माँ पाग़ल है, बेमतलब ही बोले जाती है

उनके काले काम सही पर उनके चेहरे पर
ऐसी तेज़ चमक है, आँखों को ले जाती है

घर, दफ़्तर, खूराक, सभी पर डाल दिए पर्दे
और ग़रीबी सारे पर्दे खोले जाती है

बस्ती-बस्ती सन्नाटा है, चौराहों पर भीड़
अफ़वाहों पर इतराती है, डोले जाती है

जो कुछ भी हो, जीवन-गाड़ी कभी नहीं रुकती
लाख लगें हिचकोलों पर हिचकोले, जाती है

बाबा नाहक तुम ने इतनी लम्बी राह चुनी
पगडंडी तो सीधे दक्खिन टोले जाती है