Last modified on 14 जुलाई 2019, at 16:53

श्यामल घटा (मधुमालती छंद) / अनामिका सिंह 'अना'

घिरने लगी, मनभावनी,
श्यामल घटा, शुभ सावनी।
छम-छम गिरें, बूँदें धरा,
तृण-तृण मुदित, झूमे हरा॥

तरु वृंद पिक, का गान है,
भू का हरित, परिधान है।
शाखें मुदित, हैं झूमती,
अलकें गगन, घन चूमती॥

बैरन हवा, गसने लगी,
तन के वसन, कसने लगी।
चुभने लगीं, पुरवाइयाँ,
होने लगीं, रुसवाइयाँ॥

मृदु सुधि हृदय, तेरी बसी,
हैं क्लांत दिन, हिय बेकसी.
कटती नहीं, घन यामिनी,
गिरती हृदय, नित दामिनी॥

परदेश में, मेरे पिया,
संदेश ले, जा डाकिया।
तत्क्षण मिलें, मनमीत आ,
रच दें प्रणय, के गीत आ॥