श्यामसुंदर अब तो हम आशिक तुम्हारे बन गए,
हम तुम्हारे बन गए और तुम हमारे बन गए।
जब ये दिल दुनिया का था दुश्मन हजारों बन गए।
जब ये दिल तुमको दिया हर दिल के प्यारे बन गए।
योग जप तप नेम से कोई बना बिगड़ा करे।
हम अजामिल गीध गणिका के सहारे बन गए।
आँख भर देखेंगे जब तुझको समझ लेंगे ये हम।
दल बना बैकुंठ दृग बैकुंठ द्वारे बन गए।
बिरह नभ पर जब तुम्हारा ध्यान चन्द्रोदय हुआ।
प्रेम के जल ‘बिन्दु’ जो टपके सितारे बन गए।