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श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज।
सुनो दयामयि! करुणामय हे! महाभावरूपा! रसराज!॥
गोकुलचन्द्र, गोपिकावल्लभ, राधाप्रिय, हे आनँदकन्द!।
दिव्यरसामृत-सरिता जिनके रस-लोलुप सत्-चित्-आनन्द॥
मंगलमय यश सुनूँ तुम्हारा, करूँ नाम-यश-गुण नित गान।
उभय पाद-पद्मोंकी सेवा करूँ नित्य तज सब अभिमान॥
कृष्णप्रिया-शिरोमणि रसमयि! रसमय प्रभु! हे श्यामा-श्याम!।
रहै बरसती कृपा तुम्हारी नित्य अधम जनपर अविराम॥
रक्खोसदा शरणमें ही निज इस पामरको विरद विचार।
जर्जर देह-प्राण-मन अब तो रहें न पलभर तुम्हें बिसार॥