भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्याम गगन मण्डल में जब हँसें सितारे / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्याम गगन मण्डल में जब हँसें सितारे।
एक दीप बालो प्रिय नाम का हमारे॥
मेंहदी के बूटे सब
सूख कर झरे,
घाव लगे जो दिल पर
हैं सभी हरे।
हर उत्सव पर मन बस यही तो पुकारे।
एक दीप बालो प्रिय नाम का हमारे॥
फीके पड़ गये चटक
चुनरी के रंग,
जीवन के पृष्ठ हुए
सारे बदरंग।
चूड़ी के टुकड़े हैं राह के अँगारे।
एक दीप बालो प्रिय नाम का हमारे॥
यादों के पंछी पर
तोल रहे हैं,
मन की अमराई में
बोल रहे हैं।
करवट में रात कटे जग जाऊँ भिनसारे।
एक दीप बालो प्रिय नाम का हमारे॥