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श्याम घन हो गया हमारा है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
श्याम घन हो गया हमारा है।
गोपियों ने किया इशारा है॥
पनघटों पर न गागरें फूटें
कृष्ण को प्रेम से पुकारा है॥
प्यास से क्यों अधर लगे फटने
बाँसुरी धुन बही सु-धारा है॥
अब नहीं डूबती कहीं नैया
साँवरे ने दिया सहारा है॥
वह चली है नदी भजन की जो
डूबने पर मिला किनारा है॥
रास रचने चला कन्हैया जो
कह रही आज यमुन धारा है॥
मूँद कर नैन ने श्याम को टेरो
साँवरा प्राणों से भी प्यारा है॥