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श्याम यमुना तट आ जाना / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा
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श्याम यमुना तट आ जाना।
बाँसुरी मधुर बजा जाना॥
भानुजा के जल सा काला
रूप तेरा है मतवाला।
अलक हैं घुंघराली प्यारी
मोर का पंख शीश आला।
सुघर सूरत दिखला जाना।
श्याम यमुना तट आ जाना॥
चपल नैना चंचल प्यारे
लुभा लेते मन रतनारे।
चन्द्र मुख घेर रहीं अलकें
अनोखी छवि मोहक धारे।
बिम्ब अधरों से मुसकाना।
श्याम यमुना तट आ जाना॥
बसा गिरिधर है चाहों में
नयन बिछ जाते राहों में।
न जाने पल वह कब आये
सिमट जाये जग बाहों में।
मिलन की आस बंधा जाना।
श्याम यमुना तट आ जाना॥