भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्याम सुंदर तुझे कुछ मेरी खबर है कि नहीं / बिन्दु जी
Kavita Kosh से
श्याम सुंदर तुझे कुछ मेरी खबर है कि नहीं।
तेरे दिल पर मेरी आहों का असर है कि नहीं?
ऐ मसीहा ये यह आके जरा देख तो ले,
काबिले गौर मेरा दर्दे जिगर है कि नहीं।
इम्तहाँ के लिए इक तो नज़र छोड़ दे,
देखे इस दिल पै पड़ती ये नज़र है कि नहीं।
तू न आए न सही पर ये बता दे मुझको,
तेरी तस्वीर की इस दिल में गुजर है कि नहीं।
‘बिन्दु’ आँखों से निकलते ही दिखा देंगे तुझको,
प्रेम सागर में ये डूबा हुआ घर है कि नहीं।