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श्याम सुन्दर के चरण में सिर झुकाने के लिये / रंजना वर्मा

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श्याम सुन्दर के चरण में सिर झुकाने के लिये
दूर से चल कर हूँ ' आयी शांति पाने के लिये

है बहुत तेरी जरूरत साँवरे इस लोक में
जो पड़े अघ - कीच में उनको बचाने के लिये

है नहीं सम्भव कि दे सूरज हमेशा रौशनी
एक दीपक है जरूरी तम मिटाने के लिये

जिंदगी की राह मुश्किल है कई बाधा भरी
हो सरल साथी अगर जीवन बिताने के लिये

पश्चिमी है सभ्यता हमको लुभाती हर कदम
संस्कृति है पर वतन की सिर उठाने के लिये

है मुसीबत ही सदा सच्ची कसौटी प्यार की
चाहिये सच्ची लगन रिश्ता निभाने के लिये

हो गईं अनुभूतियाँ हैं क्यों न जाने पंगु सी
फिर करें साहस जरा सा मुस्कुराने के लिये