श्याम हरि को है रिझाना आ गया।
साँवरे से दिल लगाना आ गया॥
ईश कण-कण में बसा यह सत्य है
देव पत्थर को बनाना आ गया॥
जो गया वह लौट कर आया नहीं
याद के दीपक जलाना आ गया॥
प्यार की वर्षा हुई है झूम कर
लो सुखद मौसम सुहाना आ गया॥
शूल के पादप सभी बाहर किये
फिर हमें तुलसी लगाना आ गया॥