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श्याम हरि को है रिझाना आ गया / रंजना वर्मा

श्याम हरि को है रिझाना आ गया।
साँवरे से दिल लगाना आ गया॥

ईश कण-कण में बसा यह सत्य है
देव पत्थर को बनाना आ गया॥

जो गया वह लौट कर आया नहीं
याद के दीपक जलाना आ गया॥

प्यार की वर्षा हुई है झूम कर
लो सुखद मौसम सुहाना आ गया॥

शूल के पादप सभी बाहर किये
फिर हमें तुलसी लगाना आ गया॥