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श्रद्धा-सुमन / सांध्य के ये गीत लो / यतींद्रनाथ राही
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राजनीति के महा पंक में
विकसित इन्दीवर पावन को
सड़कों से लेकर संसद तक
जन-जन के प्रिय मन भावन को
धरती के उर की धड़कन को
श्रद्धा के कुछ सुमन समर्पित।
अँगड़ाई जिसमें भारत की
कोटि-कोटि कन्ठों के स्वर थे
अंधियारों को धरी चुनौती
ज्योति-ज्वलित संकल्प प्रखर थे
उस ऊर्जा के महा प्रवण को
श्रद्धा के कुछ सुमन समर्पित।
निश्छल प्यार बन्धुता वत्सल
मर्यादा का उदधि हृदय था
वाणी का सम्राट प्यार का
राष्ट्र धर्म की निधि अक्षय था
उस निष्काम कर्म-अर्पण को
श्रद्धा के ये सुमन समर्पित।