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श्रावन और भादव की कारी घटा कारी रैन / शिवदीन राम जोशी

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श्रावन और भादव की कारी घटा कारी रैन,
बोलत मृदु बैन मधुर कोयल मतवारी हैं।
पीहूं-पीहूं बोलत मोर पपैया पुकार करें,
दादुर गीत गावे देख शोभा कछु न्यारी हैं।
बिजरी की चमक चारों ओर में प्रकाशमान,
कहाँ लो बखान करूं बरषा ऋतु प्यारी हैं।
कविता शिवदीन कहो कृष्ण-कृष्ण राधे से,
कृष्ण कहे आज बजी बांसुरी हमारी है।