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श्रीराम विवाह के समय की छविछटा / शिवपूजन सहाय

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1.

माधुरी मुरति वाले सुन्दर सुरति वाले सहज निराले मनमोहन सुखारे हैं।
शारदेन्दु निन्दक मुखारविन्द मन्दमन्द रुचिर चितौन लखि मारमद हारे हैं।
सहज सलोने सुठिलोने मृगछौने सम मनभाव लोचन विशाल रतनारे हैं।
कलित कपोल कर्ण कुण्डल ललित लोल मृदुल सुबोल मंजु ओष्ठ अरुणारे हैं।

2.

चिबुक रसीली त्यों रँगीली हाँस मन्दमन्द चन्द कर शरदहूँ विनिन्दक सुहायो है।
भौंहनि कमान तान मानमदमार हनि चोखी सु अनोखी चख नासा मनभायो है।
सुभग विशाल भाल तिलक रसाल माल अलकाझलख पेखि भ्रमर लजायो है।
चौतनी चमकदार पीत रँगदार शिर गेँदा व गुलाब बीच रचि के बनायो है॥

3.

अखिल त्रिलोक छबि सींव सुख नींव यह कम्वुकल ग्रींव चारु तीनि बर रेखा है।
कण्ठ महुँ कलित गजेन्द्र मणि कण्ठ बर उर बनमाल उपवीत पीत लेखा है।
ठवनिमृगेन्द्र सम धीर बृषकन्ध भुजवलनिधि विशाल छबि जानैँ जिन देखा है।
तूणकटि पीत पट बाँधे बर वामकाँधे साधे कर चाप शर नखशिख अलेखा है॥

इतिश्री गोस्वामी तुलसीदासजी कृत मानस भाषा रामायणे श्री मिथिलापुरी वीथी मध्यवर्णित एवम् जनकराजस्य पुष्पोद्यान मध्ये वर्णित शृँगारस्य उल्थाकृतं शिवपूजनेन स्वहृदयभावं कवित्तभाषायां लिखितं रचितं च॥