ज्योति पुंज, बुद्धिकुण्ड, महाकाय, वक्रतुण्ड
नाम ठोर पटपटैथैं, विघ्न हड़बड़ाय छै
ज्ञान सिन्धु, विनयधाम प्रथम पुज्य जिनकोॅ नाम
वै गजाननां डगर सें विघ्न ठो हटाय दै
स्वेत वसन, गौर अंग, पूजित जे स्वेत गंध
रत्न-जटित सिंहासन, जेकि विरजमान छैॅ
मूषक सवारी सङग, एकदन्त दयावन्त
वै बिणायकोॅ केॅ हमरोॅ कोटि-कोटि प्रणाम छेॅ
विष्णु-ब्रह्म ध्यान धरै, गौरीपुत्र विघ्न हरै
लम्बोदर मोदकप्रिय गणनायक त्राण दै
शिवदुलार, तिलक भाल काटै जें विघ्न जाल
वै गणेशदेव केॅ ”कणीक“ के प्रणाम छै