‘जगप्रिय’ जी
अंगिका-साहित्य के ॅ
प्रकाश दै छै ।
‘चन्द्रप्रकाश’
जगप्रिय ही नै छै
अंगप्रिय भी ।
‘जगप्रिय’ जी
सीपी में सागर छै
कर्मेॅ कहै छै ।
‘जगप्रिय’ तेॅ
जगोॅ के प्रकाशक
अंगचन्द्र भी ।
‘जगप्रिय’ जी
आरक्षी निरीक्षक
कत्तेॅ सीधा छै ।
‘जगप्रिय’ जी
एक्के बार भेंटोॅ में
याद दिलोॅ में ।
कत्तेॅ बढ़ियाँ
‘गुरू’ पर हायकु
‘जगप्रिय’ के ।
गुरू-पंथ केॅ
बतावै ‘जगप्रिय’
आयकोॅ गुरू ।
‘जगप्रिय’ जी
कविता लिखैवाला
कवि छेकात ।
‘जगप्रिय’ के
अंगिका हायकु
महत्वपूर्ण ।
‘जगप्रिय’ सें
बहुत अपेक्षा छै
अंगवासी केॅ ।
‘जगप्रिय’ जी
अंगिका के भंडार
भरतें रहेॅ ।
उगलै ‘चन्द्र’
भेलै नभ रौशन
अंग-साहित्य ।
‘यशोधरा’ के
नाट्य-रूपान्तरण
‘जगप्रिय’ के ।