Last modified on 11 जून 2016, at 08:22

श्री जसवंत सिंह विरदी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

गतिशील छै
विरदी के जीवन
काव्य-सृजन ।

विरदी मोॅन
हमरोॅ मोॅन रङ
हमेशे संग ।

जालन्धर में
विरदी के सुगन्ध
मनभावन ।

तन-मन में
समैलोॅ जसवन्त
नजरौ में तेॅ ।

गंभीर चेहरा
जनहित-चिंतन
जसवन्त के ।

मनोॅ सें तेॅ नै
आँखी सें भले दूर
दोस्त विरदी ।