आरती क्रम्न पार ब्रह्माकि सकल भयो ब्रह्मा पारिके हो
आरति क्रम नपार ब्रह्माके                                             ।।
द्विघकि दियो क्षमाकरो बाति प्र्मकि तेल वरे निज
जोति के हो                                                            ।।आारति.।।१।।।
ममलपानी आए ह्रिदया झारि पवनके धारा अस्तान
सुधारि के हो                                                           ।।आारति.।।२।।।
निस्चए ठाहारि माहा शत्त्ये मीठाई स्रघके वंवरु
विवेक डोलाई के हो                                                  ।।आारति.।।३।।।
निर्भया अक्षेता अक्षेयापाति अंद्र धुप
महंका दिन राति के हो                                               ।।आारति.।।४।।।
अनहद्द घण्ट संष उदासी भक्ति तीलक चढे 
अभिनासि के हो                                                        ।।आारति.।।५।।।
दाससतदिल आरतिगावै जो एहा बुजे
पुर्ण ब्रह्मा गति पावै के हो                                             ।।आारति.।।६।।।