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षटरस / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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कटु रहितहुँ हो सत्य मीठ, नहि तीत अतीतो
छुटय राग रस तखनहि वसन कषाय प्रतीतो
अमत अमल, लावण्य अन्तरक जखन पिरीते
तखन रसक आनन्द अन्यथा ष्ज्ञट् रस रीते