भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
षड्वर्ग / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
Kavita Kosh से
अंगन्यास -
1. नमो विन्ध्य हृदयाय, 2. हिमालय शिरसे स्वाहा, 3. मानस सर कैलाश शिखायै वषट् प्रवाहा
4. विन्ध्य कवच हुंकार, न रिपुक प्रहार क अवसर, 5. दृग उपत्यका कामरूप - कश्मीर मुखोत्तर
6. पूर्वोत्तर घाटी - मलय - सह्य अद्रि अस्त्राय फट
करन्यास करितहिँ सकल आक्रमणी रिपु विफल हट
करन्यास -
कर-अंजलि क वरिष्ठ सिन्ध नद जनि 1. अंगुष्ठे अपर छोर पर ब्रह्मपुत्र जनि विदित, 2. कनिष्ठे
3. मध्यांगुलि संगत गंगा, 4. नर्मदा तर्जनी, 5. कावेरी अनामिका दच्छिन पानि सर्जिनी, 6. कल तल - पृष्ठ क अंशिनी कत नद - नदी तरंगिनी सजल स्वदेशोपासना कर - न्यास षट् अंगिनी