भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सँयुक्त / महेन्द्र गगन
Kavita Kosh से
परस्पर विपरीत
संयुक्त है
रात के
कंधे पर सुबह
सुख के पीछे दुःख
फूल के साथ काँटे
मृत्यु से
नहीं बचाए रखा जा सकता जीवन
प्रेम-घृणा
सत्य-असत्य
ज्ञात-अज्ञात
मंगल-अमंगल
सेवा-शत्रुता
देव-दानव
किसी भी एक को बचाकर
नहीं बचाया जा सकता दूसरे को
प्रकाश की
परिधि
अंधेरे का घेरा है
जो भी है परस्पर
संयुक्त है
संयुक्त के सन्तुलन से
सधता है जीवन