संकल्प / शिवनारायण / अमरेन्द्र
जब-जब
भाँथी केरोॅ छुट्टा साँस छुटै छै
आगिन धधकै
हुवै हथौड़ा के चोटो टा
बारी-बारी लगातार तेॅ
लोहो केॅ आकार मिलै छै
मोॅन मुताबिक
होय छै एकटा
वहीं सृजन साकार!
आगिन, भाँथी आरो हथौड़ा
संग लोहा के
रिश्ता जीतें
सोमारी के दपदप चेहरा
जानें कभिये
बचपन आरो यौवन केॅ भी
पीछू छोड़ी; बड्डी पीछू
झुर्री में छै लपटैलोॅ
आरो जेा अर्थहीन छै
मोॅन मुताबिक
लोहा केॅ आकार दियै के
सोमारी के कला भेंट में चढ़लै कहिये
भूखोॅ केरोॅ।
कभियो जखनी
ओकरोॅ छोटकी पोती ठो
जोरॉे-जोरोॅ सें
पढ़ै किताबोॅ में
‘भूखोॅ केॅ
माँत दियै के
शिक्षा ठो हथियार
तखनी वैं सोचै कि
हम्मूं जों पढ़लोॅ ठो होतियौं
तेॅ, भाँथी आरो हथौड़ा बीचें
की हेनै केॅ पीटतेॅ होतियै आय
भविष्योॅ केॅ बेटा रोॅ!
सोमारी देखै छै रोजे
आपनोॅ पोती
जे कि किताबोॅ में डुबलिये
बुनतेॅ रहै छै
जानेॅ कत्तेॅ नी समना केॅ
वहा किताबोॅ के पन्ना
फड़फड़ छै आबेॅ
आरो तखनी लगै फड़फड़ावेॅ
सोमवारियो के आँखी ठो में
ऊ पन्न रोॅ
रंग-बिरंगा सपना सब्भे
हेलै आबेॅ।
एक ठो दुधिया बोली
ओकरोॅ कानोॅ से रही-रही टकरावै
”दादू, पढ़भौ की किताब केॅ।“
सोभारी अपनोॅ सपना सें
निकलै बाहर
देखै छै कि पोथी ले लेॅ
बाहर ठाढ़ी ओकरी पोती
ओकरोॅ आँखी में छेलै
संकल्प यही टा
मात करौं मूखेॅ केॅ अबकी
तेॅ हुआस से बोली पड़लै
‘हों कुन्नी।
तोंय अपनोॅ पोथी केॅ हमरौ
चलोॅ पढ़ाबोॅ।’