संगठन के आधार बिना / रणवीर सिंह दहिया
अलीपुरा और सोनीपत के बीच लिबास पुर कुंडली, मुरथल, बहाल गढ़, खानपुर, हमीद पुर सराय के वीरों ने बार-बार अंग्रेजी सेना और उनकी कानवाई पर हमले करने शुरू कर दिये। लिबास पुर के उदमीराम की युवको की टोली के कारनामें आज भी लोक गीतों में याद किये जाते हैं। इन छोटी-छोटी लड़ाइयों में इलाके के अनेक लोक शहीद हुए। अलीपुर गांव के 70-75 लोग शहीद हुए थे। लोगों को दो बातों का अहसास इस लड़ाई ने करवा दिया था। एक तो मजबूत संगठन की कमी और दूसरे मजबूत नीडर का अभाव। बागी देहात के हमलों का ही नतीजा था कि कम्पनी राज को अपनी पानीपत की छावनी करनाल ले जानी पड़ी थी। उदमीराम को यातनाएं दी गई उसे पेड़ पर लटका कर हाथों पैरों मंे कीले गाड़ दी गई। उदमीराम ने उस वक्त भारत वर्ष के लिए लोगों को संदेश दिया था। क्या बताया भलाः
संगठन के आधार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
भाइचारे के प्र्रसार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
फिरंगी नै कर दिये चाले घरां कै लवा दिये ताले
आपस के रै प्यार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
बच्चे और बूढ़े होगें तंग बुरा महिलावां का यो ढंग
समता के व्यवहार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
फिरंगी के राज मैं जुल्म बढ़े बहोत माणस फांसी पै चढ़ै
आजादी के उभार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
मानवता का खून करया सै, म्हारा कालजा भून गिरया सै
लीडर की पतवार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥
फिरंगी कै घेरी देनी होगी, बिपता सबनै या खेणी होगी
रणबीर एतबार बिना, म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा॥