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संगत / श्याम महर्षि

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घर का पालतू कुता
चाटते-चटते मेरा हाथ
लगा है अब गुर्राने
उसकी संगत कुत्तों के साथ कम
और हो गई है अब
आदमियों के साथ अधिक

कुत्ता हो गया है सयाना
वह काटने की जगह
लगा है आजकल गुर्राने
शायद वह जान गया है-
डराने के लिए जरूरी नहीं काटना ।

अनुवाद : नीरज दइया