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संगीतकला के माहत्तम / जनकबाला शर्मा

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प्रेम-पियूष के प्याला पियाथे
दया के दोना करथे दान

कर्मवीर के काहिनी कहिथे
संगीत कला है अइसन महान

अज्ञान अंधकार ला टारथे
लूताथे ज्ञान के मोती

मानवता के रद्दा बनाथे
संगीत कला के ज्योति

ठांस-ठांस के मन मां भरथे
गुरुमन बर सम्मान

संगीत कला के विद्वान मन के
 तभै होथे दुनियां मा मान

संगीत कला के लगन बिना
मानव जीवन अधूरा है

तभे आज दिखथे
तककोन के हाथ मा छूरा हे

आवय संगी पहुंचाबो घर घर
सुर ताल संगीत कला के

तभे तो चुकाबों कर्जा
अपन भारत मां के।