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संगी-अंगी: नाम-संबोधन / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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देव-रूप चलु, देवकिनन्दन! कमल रतन लय संग
माधव-यादव हर्ष-कौशलहु अङनहु मङनहु गग
मुक्ति तेज श्री राम श्याम दिन सूर्य चन्द्र अनुषंग
सती रती गिरि गुरु बटु पटुता गुण मणि गण कत रंग
देव भूप सुर उमा रमा श्री कृष्ण वीर पूर्वांक
इन्द्र चन्द्र नारायण कान्त सनाथ अन्त नानांक
महा अमर धन धन शंकर नागहु संख्या पद पूर्व
ईश - ईश्वरो शरण चरण आनन्द प्रसाद अपूर्व
काशी कांची अवध-अयोध्या मथुरा वृन्दा वैद्य
गंगा यमुना कमला वेणी नाम तीर्थ नैवेद्य
नाम देव ऋषिमुनि पुरुषोत्तम, पौरुष पुरुष प्रकाश
सरिता लता फूल देवीक कला प्रतिभाक तलास
बौआ बाउ बाच बच्चा पुनि बच्चन वचन दुलार
नूनू लाला सोन रूप मनि संबोधनक प्रकार
बाबा काका बाबू भैया संबंध क अधिकार
गाम-गाम नामहु अटपट ठक बक किछु प्रेम विकार
रंग ढंग गुण दोष वृत्ति व्यवसाय सूचको अंक
कैलू करिया पढुआ बौकू ठकन भिखारी रंक
ठक्कन नामहु निश्चल चिक्कन, बौकू बचन क जोर
धनपति निर्धन, दीना धनिजन, कारी नामहु गोर
रवि सोमन मंगल बूधन वेरस्पति शूकन शनिया
फगुनी चैता मेधुआ रौदी दाहोर समय सगुनियाँ
कका भाइहुक पढुआ करिया लाल देश - पुर संग
दाइ-माइहुक फूल लवंग पान सखि संगिनि अंग