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संग पिया के खेले होली! / ब्रजमोहन पाण्डेय 'नलिन'

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संग पिया के खेले होली!
ढोल-झाल मिरदंग मधुर ले
नाच रहल मातल हमजोली।
खिलल जुआनी के फुलवारी
झूम-झूम गावे नर-नारी
लाल रंग से भरल दुआरी
कुरचे घर-घर गोर कुँआरी
दे गलबँहिया धर बरजोरी
लगा रहल सैंया के रोली।
खिलल सुघर कचनार सुहाना
रंग-विरंगा ले के बाना
चान पिया के बनल चकोरी
रसगर गीत सुनावे गोरी
चला नयन के तीर दिखावे
गदरायल उभरल जे चोली।
झाँक रहल मिल के सब झाँकी
अजगुत गजब नजारा बाँकी
रंगल चुनरिया में हँस गोरी
साथ पिया के ले बरजोरी
कहे पिया के अंक लगा के
भरल सुघर जीवन के झोली।
पिया! मधुर हे तोहर लीला
तू तो हम्मर छैल छबीला
हम तोहर मन के बन रानी
कहली सुन्दर सुघर कहानी
हमर सहेलियन से हिलमिल के
भेल मधुर हे तोर ठिठोली।