भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संघर्ष / निमिषा सिंघल
Kavita Kosh से
अल्हड़ नदियाँँ जानती हैं समुद्र का हठी स्वभाव,
फिर भी उसे बदलने के प्रयास में
खुद को नेस्तनाबूद कर देती हैं।
समुद्र विफल कर देता है नदियों के सभी प्रयास
ज्वारभाटों से डरा
दिखाता है अपना बल।
नदियाँ जारी रखती है प्रयास।
खारे जल को मीठा करने का
करती रहती है संघर्ष
आखरी साँस तक।