संझा बोलत माई हे किनकर घरे जाग / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

संझा बोलत माई हे किनकर<ref>किसके</ref> घरे जाग<ref>यज्ञ</ref>॥1॥
कथि केर<ref>किस चीज का</ref> धियवा<ref>घृत</ref> कथि केर बात<ref>बाती, वर्तिका</ref>।
कथि केर दियवा<ref>दीप</ref> जरइ<ref>जलती है</ref> सारी रात॥2॥
सोने केर दियवा, कपासे केर बात।
सोरही गइया<ref>सोरही गाय, सुरभि गाय</ref> के घियवा, जरइ सारी रात॥3॥

शब्दार्थ
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