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संत-भगवंत बीच, किछुओ नैं भेद हे / छोटेलाल दास
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संत-भगवंत बीच, किछुओ नैं भेद हे।
संत के आदर करो, होयथौं कल्याण हे॥टेक॥
जग में कठिन सखी, संत के मिलाप हे।
दया करैं प्रभुँ जब, मिलैं संत आन हे॥1॥
संत जब घर आबैं, उपजै सुभाग हे।
विमल विचार होबै, विमूढ़ सुजान हे॥2॥
संत-संग सुख होबै, पाप होबै दूर हे।
रंक महिपाल होबै, अधम महान हे॥3॥
संत-संग प्रेम होबै, मन लागै ध्यान हे।
संत-संग गति मति, कीरति जहान हे॥4॥
‘लाल दास’ संत-पद, करो नित सेव हे।
संत बिनु पाबै नहिं, कोई निरबान हे॥5॥