भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संदेश / आभा पूर्वे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूनी घाटी में एक धीमी-सी आवाज गूंज गई थी
फैली हवाओं में चंदन की खुशबू बिखर गई थी
तुम्हारे आने की खबर जो दे दी गई थी
खाली फ्रेम में एक तस्वीर जड़ गई थी
शान्त झील में जो एक कंकड़ी गिर गई ।