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संध्या के बादल / शील
Kavita Kosh से
सन्ध्या के बादल,
लहरा रहे गाँव के बाहर
गोरज के आँचल।
सन्ध्या के बादल।
कंचन-कलश धरे अमराई,
नभ-उन्मद, ले सूर्य विदाई,
अस्ताचल की भूख, आग का
गोला रही निगल।
सन्ध्या के बादल।
सन्ध्या के बादल,
लहरा रहे गाँव के बाहर--
गोरज के आँचल।
सन्ध्या के बादल।
शीत पवन सुरमई दिशाएँ,
मुँदे कमल, सर-घन उतराएँ,
निशा आँजती, उदयाचल की--
आँखों में काजल।
सन्ध्या के बादल।
सन्ध्या के बादल,
लहरा रहे गाँव के बाहर
गोरज के आँचल।
सन्ध्या के बादल।