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संपूण / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
देख’र काळी हांडी
लाग्यो ओ है रात रो
टूटयोड़ो टुकड़ो,
देख’र पीतल री थाली
लाग्यो ओ है परभात रो
टूटयोड़ो टुकड़ो,
देख’र मिनख
लाग्यो ओ है बिराट स्यूं
बिछड़योड़ो टुकड़ो
पण अै दीचता टुकड़
आप आप री बणगट में
परतख संपूण।