सम ्बन्धों और
शकरकन्दों के साम्य
खोजने के
लिए
एक ही
शर्त है
आपका भी
कविचित्त होना [उतना ही]
हे पाठक!
कविता की प्रार्थना है
आप हों--
उसकी ऎसी किसी भी
खोज से पहले
सम ्बन्धों और
शकरकन्दों के साम्य
खोजने के
लिए
एक ही
शर्त है
आपका भी
कविचित्त होना [उतना ही]
हे पाठक!
कविता की प्रार्थना है
आप हों--
उसकी ऎसी किसी भी
खोज से पहले