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संबंध / विनोद पाराशर
Kavita Kosh से
मुश्किल होता हॆ-
आंधियों के बीच
दीपक की लॊ को बचाये रखना।
या फिर-
काजल की कोठरी से
गुजरते हुए-
अपने चेहरे को
साफ-सफेद बनाये रखना।
’लॊ’ को बचाने की कॊशिश में
हाथ झुलस जाते हॆं
लेकिन-
हाथ झुलसने की पीडा
’दीपक’ या ’लॊ’
कहां समझ पाते हॆ।
चेहरे की सफेदी
बनाये रखने की कॊशिश में
पूरा अन्तर्मन छिल जाता हॆ
कोठरी का काजल
अन्तर्मन की पीडा
कहां समझ पाता हॆ।
सच !
बहुत मुश्किल होता हे-
किसी को-
अपनी आंखों में बसाये रखना
या फिर-
संबंधों को बनाये रखना।