भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संवाद (मुक्तक) / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तेरे बिना ये दिल की दुनिया
हो पाती आबाद नहीं।
तेरे बिना मन के भावों का
हो पाता अनुवाद नहीं
मैं तो भीड़ में रहा अकेला
तुम बिन किसने बाँचा मन
सौ बरस-सा दिन लगता
जब होता तुमसे संवाद नहीं