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संसार एक इच्छा है / सविता सिंह
Kavita Kosh से
अभी जिस हाल में हूँ
उसमें बची रह गई तो भी बच जाऊँगी
मगर बच्चों की आवाज़ें
कानों में पड़ रही हैं
अभी उनकी इच्छाएँ मुझसे बात कर रही हैं
उनकी ज़िद मुझमे प्राण भर रही हैं
वे जो चाहते हैं
उन्हें ले देने को वचनबद्ध हूँ
इसी हाल में ही तो यह संसार भी है
कामनाओं से उपजा
उसी में लिथड़ी
एक इच्छा
आज रात यदि सो सकी तो
दिन का प्रकाश दिखेगा ही
मैं भर जाऊँगी ख़ुद से
मैं घर से बहार निकल
सूर्य को धन्यवाद कहूँगी
अभी जिस हाल में हूँ
इसी में बची रही
तो बच जाऊँगी
अपने बच्चों के लिए
इस जगत के लिए ।