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संसार जिसमें औरतें नहीं थीं / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
एक रात सपने में देखा
एक ऐसा संसार
जिसमें औरतें नहीं थीं
सिर्फ़ मर्द ही मर्द रह गये थे
वे औरतों के लिए नहीं
सृष्टि के राग के लिए भी नहीं
बल्कि अपने लिए
रो रहे थे
अक्तूबर 1990