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संस्कार कर देखो / प्रेमलता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
परवरिश देकर सही संस्कार कर देखो।
बाल मन पर स्वस्थ मृदु व्यवहार कर देखो।
झूठ के तुम हो सहारे चाहते हो सच,
सत्य की राहें भली स्वीकार कर देखो।
दोहरा मानक कभी अच्छा नहीं होता,
मानको पर नित्य ही सुविचार कर देखो ।
एक माँ के गर्भ से संतान जो अपनी
पुत्र या पुत्री सदा सम प्यार कर देखो।
वेदना मन में यही क्यों भूल करते हम,
बेटियों के स्वप्न भी साकार कर देखो ।
प्रेम के भूखे युवा मन राह उनको दें,
मत भटकने दो कभी मनुहार कर देखो