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संस्कार / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

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ये
कायर,कमजोर और चुके हुए लोग हैं
इन्हें चाहिए तुम्हारा गरम ताजा रक्त
ऊर्जा और शक्ति चाहिए इन्हें
कुछ भी नहीं कर सकते ये तुम्हारे बिना
दंगा, फसाद, लूट युद्ध
कुछ भी नहीं यद्यपि
उनके पास है शातिर दिमाग
तुम्हारे पास शक्ति जिसकी संवेदना
का हरण पहले ही किया जा चुका है
स्वार्थी बाजीगरों के हाथों
अब वे तुम्हें संचालित करेंगे अपनी
खतरनाक बुद्धि के रिमोट से
तुम्हारे हाथ उनके दिए हथियारों और हुनर से
करेंगे हत्याएँ तुम्हारे दिमाग को देंगे
एक नक्शा एक धर्म एक संकल्प
नक्शा जिसमें देश होगा न आदमी
रेखाएँ ही रेखाएँ होंगी आदमी को आदमी
से बांटती रेखाएँ धर्म की जगह रेखा
और संकल्प की जगह
उन्माद होगा
इस तरह वे करेंगे तुम्हारा
संस्कार।