संस्था-आस्था: प्रकृति-विकृति / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
विद्या तेज जतय छल विद्यालय वाणीक विलास
धर्मप्रबोधिनि सभा नाट्य संस्था संस्थान विकास
सेवा सदन असहयोगक युग - राष्ट्रधर्म उत्थान
एखनहुँ संघ बद्ध जीवन जत व्यक्ति समाजोत्थान
बनल उच्च विद्यालय आजहु गाँधी स्मारक नाम
रानी दाइक भूमि विदित भूमिका दामोदरहु क दाम
राधाकान्त नामसँ पूजित माध्यम विद्याधार
शिवमठ निकअ भगीरथ माध्यमिके शिक्षा आगार
टोल-मोल शिशु हित नित प्रारंभिक शिक्षाक पसार
नवहु पुरानहु किछु चलइछ वाचन हित ग्रन्थागार
डाकक संचारहु, व्यापारहु, नहि भेषजहु अबच
भजन-कीर्तनक ग्राम्य गीत-नाचहुक विविध विधि मच
भारत गामक देश, ततहु तिरहुतिक देहाते प्रान
सिंचन-पथ-परिवहन समुन्नत पुनि उपजओ धन-धान
--- ---
स्मरण पड़य ओ समय जखन दुर्दिन पाटा-नाटीक
व्यक्तिवाद केर वर्गवाद केर राग-द्वेष टाटीक
कोमल कला रुचिर रुचि रखितहुँ खन कठोर अभियोग
गोल गोलमे बढ़ल, जुटल नहि खान-पान अनुयोग
कत पुनि रौदी - दाही डहबय - दहबय उर्वर भूमि
पुल टुटले पथ दुर्गम दूरहु जतय सकी नहि घूमि
रोग-बसात अकाल - दुकाल सहल कत जन समुदाय
कटु-कपाय, हा हन्त! प्लेग दुःस्वप्न न बिसरल जाय
असह-दुसह तिख-रुख बिनु सहने स्मृतिक भूख नहि जाय
सुख-दुख चक्र चलित जीवन-रथ ग्रामक पथ पहुँचाय
--- ---
अतिथि सतिथि अभ्यागत पाहुन मित्र बन्धु सम्बद्ध
पद अर्पल जत बुध कवि कोविद तनि प्रति नति करबद्ध
जे छल श्री-सम्पदा सम्प्रतिहु जे, पुनि भावि विभूति
सभ हित श्रद्धा प्रेम शुभाशिष अर्पित मन-अनुभूति
कत परिचित शुभ - आशंसी नहि जनिक बिसरबे रूप
पितृ - मातृकहु - वर्ग र्वा जत जनगण सुमिरि अनूप
पुनि पुनि पुजब वाग्वती-तट सिकता कन कनक चिताक
भस्म जतय माता-पिता क, कत ग्राम बन्धु जनताक
--- ---
हमर अवध ई मथुरा बृन्दा काशी बदरीनाथ
जतय जनक-जननी गुरु बन्धु-समाजक संग सनाथ
अपन जन्म-धरतीक माटि स्वर्गहुक स्वर्णसँ बाढ़ि
तीर्थक जल लय तकरा पूजब संगी संग हकारि