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संस्पर्श / ओक्तावियो पास
Kavita Kosh से
मेरे हाथ
तुम्हारे अस्तित्व के पर्दे उठाते हैं
एक बार फिर आच्छादित करते हैं तुम्हें निर्वस्त्रता से ।
उद्घाटित करते हैं तुम्हारी देह के अंग-प्रत्यंग ।
मेरे हाथ
अन्वेषित करते हैं तुम्हारी देह के लिए
एक और देह ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल