सइँतत बाटीं चुल्हवा ए दुलहिन / दीपक शर्मा 'दीप'
सइँतत बाटीं चुल्हवा ए दुलहिन खन-खन बाजे खोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
फुदकत-फुदकत नाचय चिरई, मगन-मगन बा मोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
खटिया चढ़ि के बइठल ससुरा, सुरुकत सतुआ-घोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
छोटकी, मोटकी सबकय ताड़य, देवर...ई लतखोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
बाबुल जस हँय...जेठउत हमरे, कन्हवा राखँय झोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
घुसुकत-घुसुकत धुरिया खेलत, ननदी जी कऽ छोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
अमवाँ-निबिया डरिया फोरत, लउकत हव कठफोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।
बतिया-बतिया बीतल दुलहिन, कइसन हाली भोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।