भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सइँतत बाटीं चुल्हवा ए दुलहिन / दीपक शर्मा 'दीप'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सइँतत बाटीं चुल्हवा ए दुलहिन खन-खन बाजे खोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

फुदकत-फुदकत नाचय चिरई, मगन-मगन बा मोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

खटिया चढ़ि के बइठल ससुरा, सुरुकत सतुआ-घोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

छोटकी, मोटकी सबकय ताड़य, देवर...ई लतखोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

बाबुल जस हँय...जेठउत हमरे, कन्हवा राखँय झोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

घुसुकत-घुसुकत धुरिया खेलत, ननदी जी कऽ छोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

अमवाँ-निबिया डरिया फोरत, लउकत हव कठफोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।

बतिया-बतिया बीतल दुलहिन, कइसन हाली भोरवा हो
मुक्का-मुक्की चोरवा जइसन, झाँकत बा मन-चोरवा हो।